दसवां अंश और भेंट: परमेश्वर को अपनी पहली उपज से सम्मान देना
✝️ दसवां अंश और भेंट: परमेश्वर को अपनी पहली उपज से सम्मान देना
बाइबल सन्दर्भ:
📖 "तुम पूरा दसवां भाग मेरे भंडार-गृह में लाओ ताकि मेरे घर में अन्न हो, और इस विषय में मेरी परीक्षा करो,” यह सर्वशक्तिमान यहोवा का वचन है, “क्या मैं स्वर्ग के झरोखे तुम्हारे लिए नहीं खोल दूँगा, और तुम्हारे ऊपर आशीष इतनी अधिक करूँगा कि उसके लिए स्थान भी न रहेगा?" — मलाकी 3:10 (Hindi Bible)
🪔 प्रस्तावना
आज की दुनिया में, जहाँ जीवन की लागत लगातार बढ़ रही है और आमदनी सीमित है, वहाँ अपनी कमाई का कोई भाग देना—वो भी सबसे पहले देना—लोगों को व्यावहारिक नहीं लगता। लेकिन एक विश्वासी के रूप में, दसवां अंश और भेंट सिर्फ दान नहीं है, यह आदर, आज्ञाकारिता और परमेश्वर पर विश्वास की अभिव्यक्ति है।
मलाकी 3:10 में परमेश्वर खुद एक चुनौती देते हैं—"इस विषय में मेरी परीक्षा करो।" संपूर्ण बाइबल में परमेश्वर कहीं और इतनी स्पष्टता से खुद को परखने की अनुमति नहीं देते।
🌾 दसवां अंश और भेंट क्या हैं?
- दसवां अंश का अर्थ है: आपकी आय का 10% भाग जो आप परमेश्वर को समर्पित करते हैं, आमतौर पर अपनी स्थानीय कलीसिया या प्रभु की सेवा के लिए।
- भेंट वह अतिरिक्त दान है जो आप दसवां अंश से ऊपर, स्वेच्छा से धन्यवाद, सेवा या किसी ज़रूरत के अनुसार देते हैं।
यह दोनों पूजा के कार्य हैं जो यह दर्शाते हैं कि हमारा सब कुछ परमेश्वर से ही आता है। यह हमारे हृदय की स्थिति को भी दर्शाता है और परमेश्वर को हमारे धन से ऊपर स्थान देता है।
📖 पहली उपज क्यों महत्वपूर्ण है?
बाइबल के अनुसार, इस्राएलियों को अपनी फसल की पहली उपज परमेश्वर को देना अनिवार्य था। यह विश्वास और कृतज्ञता का प्रतीक था—कि सब कुछ परमेश्वर से आया है और आगे भी आएगा।
आज के युग में, “पहली उपज” का अर्थ है: अपने खर्चों से पहले, सबसे पहले परमेश्वर को देना—यह दिखाता है कि परमेश्वर हमारे जीवन में पहले स्थान पर हैं।
💼 एक सच्ची गवाही: दसवां अंश और पदोन्नति
एक युवा पेशेवर डैनियल, जिसका वेतन मुश्किल से खर्च पूरा करता था, फिर भी हर महीने नियमित रूप से अपनी आमदनी का 10% परमेश्वर को देता रहा।
कई बार कठिन समय आया, फिर भी उसने कभी रुककर नहीं दिया। एक साल बाद, उसे एक अप्रत्याशित पदोन्नति मिली—बेहतर वेतन और बेहतर सम्मान के साथ। उसके मैनेजर ने उसकी निष्ठा और ईमानदारी की सराहना की।
डैनियल जानता था—यह केवल संयोग नहीं था, यह परमेश्वर की आशीष थी।
📜 बाइबल के अनुसार दसवां अंश और भेंट के सत्य
1. दसवां अंश विश्वास की परीक्षा है
जब आप अपनी आमदनी का पहला भाग परमेश्वर को देते हैं, तो आप यह घोषित करते हैं कि आप शेष के लिए भी परमेश्वर पर विश्वास करते हैं।.
📖 नीतिवचन 3:9–10 — “यहोवा का सम्मान कर अपनी सम्पत्ति से, और अपनी सारी उपज के पहले फल से; तब तेरे कोठे भरे रहेंगे...”
2. दसवां अंश आशीर्वाद के द्वार खोलता है
मलाकी 3:10 हमें वादा देता है कि यदि हम वफादारी से देते हैं, तो स्वर्ग के झरोखे खुलेंगे।
📖 लूका 6:38 — “दो, और तुम्हें भी दिया जाएगा—अच्छा माप, दबाया हुआ, हिलाया हुआ, और उफनता हुआ...”
3. भेंट हमारे हृदय की स्थिति दर्शाती है
भेंट कोई निर्धारित प्रतिशत नहीं है, यह आपके हृदय की उदारता को दर्शाती है।
📖 2 कुरिन्थियों 9:7 — “हर एक जन जैसा अपने मन में ठान ले, वैसा ही दे; न कुढ़-कुढ़कर, न जोर से; क्योंकि परमेश्वर आनंद से देने वाले से प्रेम रखता है।”
4. सब कुछ परमेश्वर का ही है
हम मालिक नहीं, बल्कि परमेश्वर के विश्वासयोग्य भण्डारी हैं। उसे लौटाना हमारा कर्तव्य है।
📖 भजन संहिता 24:1 — “पृथ्वी और उसकी भरपूरी, जगत और उसके रहनेवाले सब यहोवा के हैं।”
5. आपका धन आपके दिल की प्राथमिकता को दर्शाता है
येशु ने कहा: "जहाँ तेरा धन है, वहाँ तेरा हृदय भी रहेगा।"
📖 मत्ती 6:21
🔍 आत्मिक विचार और प्रतिबिंब
🌱 1. क्या मैं वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ?
प्रश्न: क्या मैं अपने वेतन पर अधिक विश्वास करता हूँ या परमेश्वर पर?
🌱 2. क्या मेरी आमदनी में परमेश्वर पहले स्थान पर हैं?
चुनौती: बजट बनाते समय सबसे पहले परमेश्वर का भाग अलग रखें।
🌱 3. क्या मैं निरंतर देता हूँ?
कदम: अपनी आमदनी का 10% नियमित रूप से अलग रखें—हर महीने।
🌱 4. क्या मैं कृतज्ञ हूँ परमेश्वर की दी हुई आशीषों के लिए?
ध्यान: जो कुछ परमेश्वर ने पहले से दिया है, उसकी सूची बनाएं।
🌱 5. क्या मैं खुले हृदय से देने को तैयार हूँ?
प्रार्थना: "हे प्रभु, मुझे खुले हाथों और खुले दिल से देने की शक्ति दें।"
✝️ निष्कर्ष
दसवां अंश और भेंट धन के विषय में नहीं है, यह आपके हृदय की भक्ति और विश्वास का विषय है।
जब आप अपनी पहली उपज परमेश्वर को समर्पित करते हैं, तो आप घोषित करते हैं कि वह आपके जीवन के हर क्षेत्र में प्रथम हैं—यहाँ तक कि आपकी आर्थिक स्थिति में भी।
मलाकी 3:10 में परमेश्वर हमें खुली चुनौती देते हैं: "मेरी परीक्षा करो।"
यदि आप वित्तीय सुरक्षा, आशीष और शांति चाहते हैं, तो आज्ञा पालन से शुरू करें।
आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आप नियमित, हर्षित, और विश्वास से देते हैं—परमेश्वर आपकी सीमाओं को पार कर देने वाला आशीर्वाद उंडेलने के लिए तैयार है।
अंतिम प्रेरणा:
देना अधिक होने के बाद शुरू नहीं होता—यह विश्वास से शुरू होता है।
जो कुछ आज आपके पास है, वहीं से शुरू करें।
आपका विश्वास ही आपके भविष्य के लिए बीज बनता है।
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